थकान |
सोचने या ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई (कभी-कभी "ब्रेन फॉग" के रूप में संदर्भित) |
सरदर्द |
गंध या स्वाद में कठिनाई |
खड़े होने पर चक्कर आना |
तेज़ धड़कन या तेज़ दिल (जिसे दिल की धड़कन भी कहा जाता है) |
छाती में दर्द |
सांस लेने में कठिनाई या सांस की तकलीफ |
इम्युनिटी बढाने के लिए किस प्रकार की डाईट लेनी चाहिए?
इम्यूनिटी बढ़ाने में सबसे ज्यादा जरूरत गाय के दूध में आधा चम्मच हल्दी, मिश्री डालकर पिलाएं।
इसके अलावा तुलसी, अमृता, अदरक, कालीमिर्च, इलायची, धनिया का सेवन किसी भी रूप में करवाएं।
भाजियां खायें: - सिलयारी, केना, चकोड़ा, कोइनार, पुनर्नवा, चिवटी, कटैया, गेंधारी, धुरफी, मुनगा, तीनपत्तिया, नोनिया, पोइ जैसे सागभाजी खानी चाहिए।
महुआ का फूल उबाल कर या भूंज कर भूंजे हुए महुए के फूल को कूट कर उसमें तीसी (अलसी) मिला कर उसकी लुगदी बनाये, जिसे लाटा कहते हैं।
अगर पारंपरिक चीजों पर बल दिया जाए तो इम्युनिटीयुक्त शरीर तैयार होगा उसमें कोरोना से लड़ना आसान हो जाएगा।
थैराप्यूटिक डाईट करोना मरीज के लिये क्यों जरूरी है?
इस संक्रमण से पूरी तरहबाहर आने में आहारकी महत्वपूर्ण भूमिका है।
थैरेपीयूटिक डाइट में हर तरह की बीमारियों को ध्यान में रखते हुए मरीज की डाइट तैयार की जाती है।
खाना हमारे शरीर की न्यूट्रिशन आवश्यकताओं को पूरा करता है।
संक्रमण से शरीर में अनेक प्रकार के विशाक्त जमा होने लगते हैं जिन्हें निकालने के लिए भोजन में थैरेपीयूटिक डाइट का नियमित इस्तेमाल आवश्यक है।
होम आइसोलेशन पेशेट को किस तरह की डाईट लेनी चाहिये।
कोरोना से संक्रमित कई मरीज अपनेघरों में आइसोलेशन में हैं। उन्हें कई दवाइयां दी जा रहीं हैं। जिससे तबियत में तो सुधार आ रहा है लेकिन कुछ लोगों को तेज दवाओं से पेट संबंधी परेशानियां हो रही हैं।
हाई प्रोटीन:
संक्रमण से सुरक्षा व फास्ट रिकवरी के लिए संक्रमित व्यक्तिके शरीर में प्रोटीन की रिक्वायरमेंट सामान्य से अधिक बढ़ जाती है।
शरीर के वजन के अनुसार 1:5 ग्राम प्रोटीन प्रति किलोग्राम के हिसाब से लें। प्रोटीन के लिए डबलटोंड दूध, घर का ताजा बना दही केवल दिन में, पनीर, छेना, साबुत दालें, अंकुरित मूंग, मूंग की दाल, बींस, मटर, सोयाबीन, राजमा का इस्तेमाल कर सकते हैं।
हाई कार्बोहाइड्रेट:
बुखार की वजह से संक्रमित व्यक्ति को बहुत अधिक थकान और कमजोरी हो जाती है इसके लिए भोजन में अधिक ऊर्जा पदार्थ प्रदान करने वाले सुपाच्य पदार्थ जैसे और ओट्स, सूजी की खीर, उत्तपम, उपमा, इडली, दलिया, सफेद रसगुल्ला व फलों के रस इत्यादि को सम्मिलित करें।
फल व सब्जियां:
फल व सब्जियों में फाइबर, फोलेट मिनरल्स, एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन भरपूर मात्रा में होते हैं जो रिकवरी के लिए बहुत आवश्यक है। प्रतिदिन 400 ग्राम सब्जियां व 200 ग्राम फल लें। संक्रमित व्यक्ति को हरी सब्जियां, सूप व फलों मेंसेब, पपीता, खरबूज, संतरा, अनार, कीवी, अनानास, आंवला, अंगूर, स्ट्रॉबेरी व नीबू का उपयोग बदल बदल कर करना चाहिए।
एंटी ऑक्सीडेंट:
संक्रमित व्यक्ति के शरीर की कोशिकाएं प्रभावी रूप से काम कर सकें इसके लिए एंटीऑक्सीडेंट के रूप में फलों व ड्राई फ्रूट यानी सूखे मेवे का इस्तेमाल करना चाहिए इससे सेलेनियम, जिंक, मैग्नीशियम व अन्य पोषक तत्वों की कमी पूरी हो जाती है इसके लिए भीगे बादाम, बादाम का दूध, नारियल का दूध, अखरोट, मुनक्का, कद्दू के बीज, मखाने का इस्तेमाल करें।
इम्यूनिटी बूस्टर:
रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए घरों में प्रयोग किए जाने वाले मसाले जैसे तुलसी पत्ती, लहसुन, अदरक, काली मिर्च, सौंठ, हल्दी पाउडर, स्टार एनेज, दालचीनी, मुलैठी का प्रयोग करें एंटी बैक्टीरियल, एंटी वायरल तत्व होते हैं जो कफ नाश करते हैं, रिकवरी को बढ़ाते हैं।
तरल पदार्थ:
कोरोना से संक्रमित व्यक्ति के शरीर में पानी की कमी को पूरा करने के लिए वह शरीर से बाहर निकालने के लिये प्रतिदिन 3 लीटर गुनगुना पानी एवं 1 लीटर अजवाइन का पानी या नींबू का पानी या जीरे का पानी पीना आवश्यक है।
ऑक्सीजन लेवल को सामान्य बनाये रखने के लिये भोजन में क्या शामिल करें?
भोजन में इनको शामिल करने से शरीर मे पंहुच कर ये हीमोग्लोबिन के साथ मिलकर ऑक्सीजन की कमी को पूरा करते है।
सब्जियों में:
पालक, चैलाई, हरी प्याज, पत्तागोभी, अरबी, ब्रोकली, लेट्यूस, आलू और सीताफल।
फलों में:
केला, अनार, तरबूज, खट्टे फल जैसे नीबू, संतरा, चकोतरा, स्ट्रॉबेरी और एवेकाडो अधिक खाएं।
सलाद में:
चुकंदर, कच्चा लहसुन और मूली खून में ऑक्सीजन की कमी को पूरा करते हैं।
सूखे फलों में:
अखरोट, बादाम, फ्लेक्ससीड से ब्लड प्रेशर नियमित होता है और कार्डियोवस्कुलर सिस्टम में सुधार होता है।
पानी और शर्बत:
नारियल पानी व बेल का शर्बत, पुदीना और नीबू का शर्बत, कच्ची हरी सब्जियों का जूस पीएं।
यदि आपकी सांसें असामान्य महसूस हो तब आप प्रतिदिन एक गिलास चुकंदर का जूस, निम्बू के साथ ज़रूर लें।
पोस्ट कोविड सिम्पटम्स को दूर करने के लिये कैसी डाईट दें?
रिपोर्ट तो नेगेटिव आ गई है लेकिन फिर भी कोविड होने के कारण शारीरिक कमजोरी बनी हुई है।
कमजोरी व थकान:
कमजोरी व थकान को दूर करने के लिए प्रतिदिन मीठे फल, फलों के रस, विशेषकर गन्ने का रस, शहद, नींबू पानी पिएं। मुनक्का, अंजीर, मखाने, खसखस, दूध से बनी मिठाइयों का सेवन करें ये ऊर्जा के उत्तम स्रोत हैं।
सर दर्द:
रिकवरी के बाद भी सर दर्द की समस्या लगातार बनी रहती है। इसके लिए प्रतिदिन 4 मुनक्का व 6 बादाम भिगोकर सुबह खाएं। सुबह खाली पेट गुनगुने पानी में शहद का सेवन करने से भी लाभ होता है। केला व शहद मिलाकर खाने से सरदर्द में तुरंत राहत मिलती है।
बॉडी पेन, जोड़ों का दर्द व सूजन:
शरीर में विभिन्न प्रकार के दर्द को दूर करने के लिए उच्च कैल्शियम युक्त आहार व प्रोटीन से भरपूर खाद्य पदार्थों का इस्तेमाल करें। इसके लिए टोंड दूध, दही, पनीर, अंकुरित अनाज, संतरे का जूस, सफेद तिल, बादाम एवं कददू के बीज का नियमित रूप से इस्तेमाल करें।
प्रतिदिन 1 कटोरी दही के साथ 1/2 ग्राम तक या चने के बराबर बुझा हुआ चूना खाने से हड्डी के दर्द में राहत मिलती है। सूजन को कम करने के लिए अजवाइन का पानी एवं हल्दी का पानी बहुत लाभ देता है।
मांसपेशियों में ऐंठन:
बीमारी के कारण शरीर से विटामिन, मिनरल्स की बहुत कमी होने के कारण मांसपेशियों में ऐंठन की सम्स्या आती है। इसे दूर करने के लिए भोजन में विटामिन बी, मैग्निशियम, कैलशियम, पोटैशियम, सोडियम व एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर भोजन करें जैसे - केला, शकरकंद, खरबूज, तरबूज, नारियल, चीकू, चुकंदर, मशरूम, मखाने, कददू के बीज, अखरोट आदि।
तुरंत राहत के लिए टमाटर का सूप, पालक का सूप, नारियल पानी, केले का शेक, मौसमी का रस, फलों की स्मूदी का इस्तेमाल जरूरकरें।
कब्ज की परेशानी:
शरीर में पोषक तत्वों का इस्तेमाल सही तरीके से हो सके इसके लिए रोगी का पेट साफ होना बहुत आवश्यक है। कब्ज होने पर हरी सब्जियां, सलाद, फलों में विशेष रूप से पपीता, अधिक पका हुआ केला, दूध, अंजीर व सूखे खजूर का सेवन करना चाहिए। इसके अलावा आप धनिया की पंजीरी या त्रिफला या सौंफ का पाउडर रात में भोजन के बाद खाये।
10 ग्राम चिया सीड्स को 4 घंटे पानी में भिगोने के बाद दूध में मिला कर लेने से कब्ज से जल्द ही राहत मिलती है।
Note:
कुछ खाद्य पदार्थों को शामिल करके अपने स्वास्थ्य को बेहतर रखा जा सकता है। संक्रमण के बाद लगातार छह महीने तक रोगी को अपने खानपान में विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है।
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