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Writer's pictureKunal Karan

नवरात्रि इस बार 8 दिनों में ही बीत जाएंगे

Updated: Oct 12, 2020

शारदीय नवरात्रि शक्ति पर्व इस बार 17 अक्टूबर से प्रारंभ हो कर 25 अक्टूबर तक चलेगा। शारदीय नवरात्रि का महत्व धर्मग्रंथ एवं पुराणों के अनुसार शारदीय नवरात्रि माता दुर्गा की आराधना का श्रेष्ठ समय होता है। मां अपने भक्तों को सुख, शक्ति और ज्ञान प्रदान करती है।


नवरात्रि का पर्व शक्ति की उपासना का पर्व है, नौ दिनों तक अलग-अलग माताओं की विभिन्न पूजा उपचारों से पूजन, अखंड दीप साधना, व्रत उपवास का खाना, दुर्गा सप्तशती व नवार्ण मंत्र का जाप करें। अष्टमी को हवन व नवमी को नौ कन्याओं का पूजन करें।


शारदीय नवरात्रि में घटस्थापना मुहूर्त


हिन्दू पंचांग के अनुसार आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के दिन घट स्थापना मुहूर्त का समय 17 अक्टूबर को प्रातः 06ः27 बजे से 10ः13 बजे तक बताया गया है। वहीं घटस्थापना के लिए अभिजित मुहूर्त प्रातः 11ः44 बजे से 12ः29 बजे तक रहेगा।


कैसे करें कलश स्थापना


ऽ कलश लें, इस पर स्वस्तिक बनाएं।

ऽ फिर मौली या कलावा बांधें।

ऽ इसके बाद कलश को गंगाजल और शुद्ध जल से भरें।

ऽ इसमें साबुत सुपारी, फूल और दूर्वा डालें।

ऽ साथ ही इत्र, पंचरत्न और सिक्का भी डालें।

ऽ इसके मुंह के चारों ओर आम के पत्ते लगाएं।

ऽ कलश के ढक्कन पर चावल डालें।

ऽ देवी का ध्यान करते हुए कलश का ढक्कन लगाएं।

ऽ अब एक नारियल लेकर उस पर कलावा बांधें।

ऽ कुमकुम से नारियल पर तिलक लगाकर नारियल को कलश के ऊपर रखें।

ऽ नारियल को पूर्व दिशा में रखें।


जवारे कैसे लगाये

सबसे पहले एक पात्र लें। उस पात्र में मिट्टी बिछाएं। फिर पात्र में रखी मिट्टी पर जौ के बीज डालकर उसके ऊपर मिट्टी डालें। अब इसमें थोड़े-से पानी का छिड़काव करें।


पूजा की सामग्री की लिस्ट


 लाल चुनरी, लाल वस्त्र, और लाल झंडा,

 श्रृंगार का सामान,

 दीपक, घी, तेल, धूप, अगरबत्ती, और माचिस,

 चैकी, चैकी के लिए लाल कपड़ा,

 नारियल,

 कलश,

 चावल,

 कुमकुम, और कलावा,

 फूल, और फूलों का हार,

 देवी की प्रतिमा या फोटो,

 पान, सुपारी,

 लौंग-इलायची,

 बताशे,

 कपूर,

 उपले,

 फल-मिठाई,

 खीर, हलवा, और मेवे


नवरात्र में मां के इन नौ रूप की होती है पूजा


17 अक्टूबर- मां शैलपुत्री पूजा घटस्थापना

18 अक्टूबर- मां ब्रह्मचारिणी पूजा

19 अक्टूबर- मां चंद्रघंटा पूजा

20 अक्टूबर- मां कुष्मांडा पूजा

21 अक्टूबर- मां स्कंदमाता पूजा

22 अक्टूबर- मां कात्यायनी पूजा

23 अक्टूबर- मां कालरात्रि पूजा

24 अक्टूबर- मां महागौरी दुर्गा पूजा

25 अक्टूबर- मां सिद्धिदात्री पूजा


शारदीय नवरात्रि पूजन विधि


1. शारदीय नवरात्रि के पूजा से एक दिन पहले ही आपको पूजा की सामग्री एकत्रित कर लेनी चाहिए। इसके बाद शारदीय नवरात्रि को स्नान करने के बाद लाल वस्त्र धारण करने चाहिए।


2. इसके बाद एक चैकी पर गंगाजल छिड़क कर शुद्ध करके उस पर लाल कपड़ा बिछाएं और मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित करें और कलश की स्थापना करें।


3. कलश की स्थापना करने के बाद मां दुर्गा को लाल वस्त्र, लाल फूल, लाल फूलों की माला और श्रृंगार आदि की वस्तुएं अर्पित करें और धूप व दीप जलाएं।


4. यह सभी वस्तुएं अर्पित करने के बाद गोबर के उपले से अज्ञारी करें। जिसमें घी, लौंग, बताशे, कपूर आदि चीजों की आहूति दें।


5. इसके बाद नवरात्रि की कथा पढ़ें और मां दुर्गा की धूप व दीप से आरती उतारें और उन्हें प्रसाद का भोग लगाएं।


शारदीय नवरात्रि की कथा (Shardiya Navratri Story)


पौराणिक कथा के अनुसार एक समय भैंसा दानव महिषासुर ने देवलोक पर अपना अधिपत्य कर लिया था। वह सभी देवताओं का अंत कर तीनों लोक पर अपना राज्य चाहता था। कोई भी देवता उसका सामना नहीं कर सकता था इसलिए सभी देवता ब्रह्मा जी के पास इस समस्या के समाधान के लिए गए। सभी देवताओं के आग्रह पर ब्रह्मा जी ने उन्हें समाधान बताया।


महिषासुर के अंत के लिए सभी देवताओं ने अपनी शक्तियों का उपयोग करके देवी दुर्गा का निर्माण किया जिसे सभी देवताओं की शक्तियों से मिला कर ही किया जा सकता था। मां दुर्गा का रूप अत्ंयत ही सुंदर और मोहक था। मां के मुख से करुणा, दया, सौम्यता और स्नेह झलकता है। मां की दस भुजाएं हैं और सभी भुजा में अलग-अलग अस्त्र-षस्त्र सुशोभित हैं। भगवान शिव ने त्रिशुल, भगवान विष्णु ने चक्र, भगवान वायु ने तीर दिए हैं जिससे वह पापियों का अंत कर सकें और धरती पर पुनः धर्म की स्थापना कर सकें। मां हिमावंत पर्वत के शेर की सवारी करती हैं।


मां ने अपने विभिन्न अस्त्र-शास्त्रों और देवताओं से मिली शक्तियों का प्रयोग करके भैंसा दानव महिषासुर वध कर सभी की रक्षा करी।


सिद्ध कुंजिका मंत्र और जाप का तरीका (Sidh Kunjika Mantra)


।। ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।

ऊं ग्लौं हुं क्लीं जूं सरू ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।

ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।।


सिद्ध कुंजिका मंत्र का जाप 15 मिनट तक करें। इसके अभ्यास को 41 दिन तक नियमित रूप से करें। आप देखेंगे कि सिद्ध कुंजिका मंत्र के चमत्कारी प्रभाव से आपकी मनोकामना जल्दी ही पूरी होगी।


शारदीय नवरात्रि अखंड ज्योत का महत्व


शारदीय नवरात्रि पर अखंड ज्योत पूरे नौ दिनों तक जलती ही रहनी चाहिए यह बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। नवरात्रि के नौ दिनों तक मां दुर्गा का वास घर में होता है और अखंड ज्योत जलाने से मां दुर्गा प्रसन्न होती है और उनका आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।


मां दुर्गा की आरती (Goddess Durga)


जय अम्बे गौरी मैया जय मंगल मूर्ति ।

तुमको निशिदिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिव री ॥टेक॥

मांग सिंदूर बिराजत टीको मृगमद को ।

उज्ज्वल से दोउ नैना चंद्रबदन नीको ॥जय॥

कनक समान कलेवर रक्ताम्बर राजै।

रक्तपुष्प गल माला कंठन पर साजै ॥जय॥

केहरि वाहन राजत खड्ग खप्परधारी ।

सुर-नर मुनिजन सेवत तिनके दुःखहारी ॥जय॥

कानन कुण्डल शोभित नासाग्रे मोती ।

कोटिक चंद्र दिवाकर राजत समज्योति ॥जय॥

शुम्भ निशुम्भ बिडारे महिषासुर घाती ।

धूम्र विलोचन नैना निशिदिन मदमाती ॥जय॥

चैंसठ योगिनि मंगल गावैं नृत्य करत भैरू।

बाजत ताल मृदंगा अरू बाजत डमरू ॥जय॥

भुजा चार अति शोभित खड्ग खप्परधारी।

मनवांछित फल पावत सेवत नर नारी ॥जय॥

कंचन थाल विराजत अगर कपूर बाती ।

श्री मालकेतु में राजत कोटि रतन ज्योति ॥जय॥

श्री अम्बेजी की आरती जो कोई नर गावै ।

कहत शिवानंद स्वामी सुख-सम्पत्ति पावै ॥जय॥






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